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आतंकवादियों से –

general dibba
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“आंतकबादियों से”
० विष बेल बोकर
तुम अगली पीढी को
देकर जाओगे-ज़हर लगे फल-फूल।
० तुम्हारे जाने के बाद
बरसो रोयेंगें वो,
बेकुसूर बच्चे,बुज़ुर्ग
जिनको पता नहीं
उनका भविष्य क्या है?
० बबूल बोकर आम खाने का
तुम्हारा ख्याब
ठीक वैसा ही है-
जैसे अबोध बच्चा
चाँद के लिये मचलता है।
०तुम्हारी मौत पर मातम नही,
खुशियां मनायी जायेगीं,
तुम्हारी जननी भी
तुम्हारी लाश पर आँसू
नहीं बहायेगी।
०तुमने हज़ारों माँओं से
उनके सपूतों को छीना है
अब उन्हें बिना सहारे,
आसूओं के साथ
उम्र का सफर तय करना है।
०उनकी आहें तुम्हारे सुखों को
ज़ला देगीं
नरक में भी,
आँसू,सिसकियाँ,आहें,
तुम्हारा पीछा नहीं छोडेंगीं।

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