general dibba
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“ये तूने क्या किया जिया ”
जिया ये तूने क्या किया
नाम तो तेरा था जिया
पर तूने ये जीवन को कैसा जिया
इतनी कम उमर में
मौत का ज़हर पिया
ये तूने क्या किया -ये तूने क्या किया
मालुम भी है तुझे
नारी को कितना कमज़ोर किया
सपनीली आँखों में क्यों पाले इतने सपने
धरती ना रही अपनी
आंसमा सरीखे ऊँचे सपने ।
कभी गजनी कभी हाउस -फुल किया
और आज खुद को निशब्द कर लिया
हर द्वार पर, हर वार नहीं मिलती खुशियाँ
क्यों कर ली अपनी इतनी छोटी दुनियां
मुसीबतों से छुटकारा नहीं पलायन किया
जीवन को एक वार जी कर तो देखती
तेरी हार ही तुझे ले जाती जीत के राह पर
क्यों आख़िरी रास्ता चुन लिया
ये तूने क्या किया जिया
ये तूने हमें निराश किया
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